बुधवार 17 दिसंबर 2025 - 10:43
एक सादह जिंदगी जिसके नतीजे में तफ़सीर अल-मीज़ान जैसी कृति प्राप्त हुई

हौज़ा / बाहरी रूप से सरल और आर्थिक तंगी में बीते जीवन के पीछे त्याग, प्रेम और बलिदान की एक ऐसी दास्तान छिपी है, जिसका फल इस्लामी दुनिया को तफ़सीर अल-मीज़ान के रूप में एक महान बौद्धिक खज़ाने के रूप में मिला।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , बाहरी रूप से सरल और आर्थिक तंगी में बीते जीवन के पीछे त्याग, प्रेम और बलिदान की एक ऐसी दास्तान छिपी है, जिसका फल इस्लामी दुनिया को तफ़सीर अल-मीज़ान के रूप में एक महान बौद्धिक खज़ाने के रूप में मिला।

आयतुल्लाह सय्यद मुहम्मद हुसैन तबातबाई के परिवार ने गंभीर आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद एक शांतिपूर्ण और सुखद जीवन व्यतीत किया। इस राह में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उनकी पत्नी की थी, जिन्होंने त्याग की एक उत्कृष्ट मिसाल कायम करते हुए घरेलू कठिनाइयों को आयतुल्लाह से छुपाए रखा।

आयतुल्लाह तबातबाई की बेटी उस दौर को याद करते हुए बताती हैं कि जिस कमरे को हमने किराए पर लिया हुआ था, उसके एक हिस्से में मेरे पिता छात्रों को पढ़ाया करते थे और हम एक पर्दे के पीछे जीवन व्यतीत करते थे।

इन सभी कठिनाइयों के बावजूद हमारा जीवन अत्यंत सुखद था। मेरी माँ जीवन की परेशानियों को पिता से छुपा लेती थीं। उनका मानना था कि अगर पिता का एक पल का भी ध्यान घरेलू समस्याओं की ओर चला जाए तो यह उनके लिए उचित नहीं होगा। इसलिए वे सभी समस्याएं स्वयं सहन करती थीं ताकि पिता पूरे एकाग्रचित्त होकर ज्ञान, शिक्षण और शोध में व्यस्त रहें।

यही वह मौन और पर्दे के पीछे की कुर्बानियाँ थीं, जिन्होंने आयतुल्लाह तबातबाई को बौद्धिक शांति प्रदान की और इस्लामिक ज्ञान को 'अलमीज़ान फ़ी तफ़सीर अल-कुरआन' जैसी अद्वितीय बौद्धिक कृति प्राप्त हुई।

स्रोत: किताब उलगू खानवादह अख्लाकी, पृष्ठ 63

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